वक्त चाहे जितना भी बीत जाए, इंसान की फितरत शायद ही बदलती है। ऐसा ही कुछ हुआ कुख्यात अपराधी कल्लू सिंह के साथ, जो 28 साल पहले किए गए एक सनसनीखेज मर्डर केस में अब जाकर पुलिस के हत्थे चढ़ा। 50 हज़ार रुपये के इनामी इस अपराधी ने अपनी पुरानी पहचान तो मिटा दी थी, लेकिन उसकी बड़बोली आदत ने आखिरकार उसे पकड़वा ही दिया।
1997 की वो खौफनाक दोपहर
17 अप्रैल 1997 को वाराणसी के हेरिटेज हॉस्पिटल के बाहर प्रशासनिक अधिकारी विधानचंद्र तिवारी दो लोगों से बातचीत कर रहे थे, तभी बाइक पर सवार दो शूटर आए और गोलियों से भूनकर फरार हो गए। यही नहीं, उसी दिन एक और हिस्ट्रीशीटर मायालू पर भी जानलेवा हमला किया गया। जांच में सामने आया कि इस दोहरे हमले के पीछे दो नाम थे – कल्लू सिंह और बालेन्द्र सिंह।
साथी की मौत, खुद हुआ गायब
बालेन्द्र सिंह की 2002 में चंदौली में पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई, लेकिन कल्लू सिंह जैसे गायब ही हो गया। कोई सुराग नहीं, कोई संपर्क नहीं। घरवालों ने भी मान लिया था कि वो अब इस दुनिया में नहीं रहा। समय बीतता गया, बेटी की शादी भी हो गई, लेकिन कल्लू का नाम कहीं सुनाई नहीं दिया।
नई पहचान, पुरानी आदत
इस दौरान कल्लू ने अपनी पहचान पूरी तरह बदल ली थी। नया नाम, नया चेहरा, नई जगह – लेकिन अपनी आदतें नहीं बदल सका। उसका बड़बोलापन ही पुलिस के लिए अहम सुराग बन गया। कुछ समय पहले उसने एक महफिल में पुराना जिक्र छेड़ दिया और वही बात पुलिस के कानों तक पहुंच गई।
फिर से खुले पुराने राज़
सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने जब जानकारी की पुष्टि की तो सामने आया कि वह वही कल्लू सिंह है, जो 28 साल से फरार चल रहा था। उसके खिलाफ वाराणसी में हत्या समेत कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।