राजनीति में कई चेहरे आते हैं और समय के साथ गुम हो जाते हैं, लेकिन कुछ नेता ऐसे होते हैं जो समय की कसौटी पर खुद को साबित कर मिसाल बन जाते हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उन्हीं नामों में से एक हैं। आज वे अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं।
अखिलेश यादव का राजनीतिक सफर सैफई के साधारण गांव से शुरू होकर ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी तक गया। पढ़ाई के बाद राजनीति में कदम रखने वाले अखिलेश 2012 में उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। उस वक्त उन्होंने बदलाव और विकास की नई उम्मीदें जगाईं। उनकी छवि एक पढ़े-लिखे, तकनीक-समझदार और आधुनिक सोच वाले नेता के रूप में बनी।
हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की हार ने उनके सफर को झटका दिया। इसके बाद 2018 में उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में मिले सरकारी आवास को भी खाली करना पड़ा। उस वक्त की घटना—जब सरकारी आवास को गंगाजल से धुलवाया गया—आज भी उन्हें आहत करती है। उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया कि “क्या मैं अपवित्र था?”
अखिलेश यादव का यह सवाल उनकी राजनीति में मिली अस्वीकार्यता की पीड़ा को दर्शाता है। लेकिन वे इन अनुभवों से और मजबूत होकर उभरे हैं। आज वे न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक अहम चेहरा हैं। उनका अब तक का सफर युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कैसे संघर्षों से सीखकर आगे बढ़ा जा सकता है।