नीदरलैंड के द हेग शहर में नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) समिट का आज दूसरा दिन है, जिसमें सदस्य देशों के प्रमुखों की बैठक हो रही है। इस बैठक को NATO के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक माना जा रहा है, क्योंकि यह ऐसे समय पर हो रही है जब मिडिल ईस्ट में ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों की लड़ाई के बाद सीजफायर लागू हुआ है।
समिट में मुख्य एजेंडा अमेरिका की ओर से सदस्य देशों से रक्षा खर्च बढ़ाने की मांग है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रस्ताव रखा है कि हर सदस्य देश अपनी GDP का 5% हिस्सा रक्षा पर खर्च करे। फिलहाल, यूरोपीय देशों का कुल योगदान NATO के रक्षा बजट में करीब 30% है, और वे अपनी GDP का औसतन सिर्फ 2% ही खर्च कर रहे हैं।
ट्रम्प का तर्क है कि अमेरिका NATO की सुरक्षा के लिए disproportionate रूप से ज्यादा पैसा दे रहा है, जबकि अन्य देश अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं निभा रहे। उनके अनुसार, यह असंतुलन अब और नहीं चल सकता।
हालांकि, इस मांग को सभी देशों का समर्थन नहीं मिला है। स्पेन ने स्पष्ट रूप से रक्षा खर्च बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा फ्रांस, इटली और कनाडा भी इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। यह विरोध इस समिट को और भी जटिल बना रहा है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रम्प अन्य देशों को मनाने में सफल होते हैं या NATO के भीतर मतभेद और गहरे होंगे।