बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कहा कि निर्वाचन आयोग आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आयोग की साजिश के तहत बिहार में मतदाताओं की सूची से दलित, पिछड़े और अति-पिछड़े वर्गों के नाम हटाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए आयोग युवा वोटरों से उनके माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण मांग रहा है, जो दुर्भावनापूर्ण कदम है।
तेजस्वी यादव ने राज्य और केंद्र सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में बड़ी संख्या में लोग न तो मैट्रिक पास हैं और न ही उनके पास जन्म प्रमाणपत्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में कई लोगों के दस्तावेज नष्ट हो जाते हैं, जिससे वे नागरिकता प्रमाण देने में असमर्थ होते हैं।
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह सब एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करना है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए निर्वाचन आयोग से तुरंत ऐसे फरमानों को वापस लेने की मांग की। साथ ही उन्होंने जनता से सतर्क रहने और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की।