हिंदू धर्म में सूर्य देव को आत्मा का प्रतीक माना गया है और उन्हें नवग्रहों के अधिपति की उपाधि प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
अर्घ्य देने की प्रक्रिया में कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि इसका पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके। प्रातः सूर्योदय के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें, उसमें लाल फूल, रोली (कुमकुम), अक्षत (चावल), गुड़ या शक्कर और लाल चंदन मिलाएं। पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों और ऊँ सूर्याय नमः या ऊँ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए धीरे-धीरे सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।
सूर्य को अर्घ्य देने से न केवल आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। यह त्वचा संबंधी रोगों में राहत देता है और दृष्टि को तेज करता है। साथ ही, कुंडली के ग्रह दोषों का शमन होता है और सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है।
अतः नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देना एक सरल परंतु अत्यंत प्रभावशाली आध्यात्मिक क्रिया है, जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाती है।