जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को अमेरिका की विदेश नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अमेरिका केवल अपने स्वार्थ के लिए ही दूसरों से दोस्ती रखता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका तब तक ही किसी देश का मित्र होता है जब तक उसे उससे कोई लाभ मिलता है। अपने फायदे के लिए वह कुछ भी कर सकता है, चाहे वह किसी की भावनाओं की अनदेखी ही क्यों न हो।
यह बयान उस समय आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल आसिफ मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर आमंत्रित किया। जब इस पर मीडिया ने उमर अब्दुल्ला से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने फैसलों में स्वतंत्र हैं और यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है कि वे किसे बुलाना चाहते हैं। भारत इस पर आपत्ति नहीं जता सकता।
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि हमें लगता था कि अमेरिका भारत का करीबी मित्र है और हमारे हितों की रक्षा करेगा। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि अमेरिका केवल उन्हीं चीजों को प्राथमिकता देता है जो उसके अपने हित में हों। वह किसी अन्य देश की भावनाओं या अपेक्षाओं को महत्व नहीं देता। यह अमेरिका की नीति रही है कि वह वैश्विक रिश्तों में केवल अपने फायदे को देखता है, और यह बात हमें समझनी चाहिए।
इस बयान से यह संकेत मिलता है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को लेकर सतर्क और आत्मनिर्भर बनना होगा, क्योंकि कोई भी देश स्थायी दोस्त नहीं होता, खासकर जब बात वैश्विक राजनीति की हो।