उत्तर भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड यात्रा से पहले एक महत्वपूर्ण परंपरा — छड़ी यात्रा — का आयोजन किया गया। मंगलवार को एसडीएम निरमंड, मनमोहन सिंह ने इस छड़ी यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा माता अंबिका और दत्तात्रेय स्वामी की छड़ियों के साथ शुरू की जाती है और इसे श्रीखंड यात्रा का आध्यात्मिक शुभारंभ माना जाता है।
छड़ी यात्रा में जूना अखाड़ा के साधु-संतों, स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं समेत करीब 150 लोग शामिल हुए। निरमंड में विशेष पूजा-अर्चना के बाद यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर पूरे क्षेत्र में “हर हर महादेव” के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया।
यह छड़ी यात्रा श्रीखंड महादेव की चोटी तक पहुंचेगी, जहां भगवान शिव के दर्शन किए जाएंगे। 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के बाद यह छड़ी निरमंड वापस लौटेगी। इसी दिन से श्रीखंड यात्रा को आधिकारिक रूप से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
श्रीखंड यात्रा को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है और यह कठिन चढ़ाई, ऊंचे पर्वतीय रास्तों और अत्यधिक आस्था के लिए जानी जाती है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए इस यात्रा में भाग लेते हैं। छड़ी यात्रा की यह परंपरा श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्ति का संचार करती है, जिससे मुख्य यात्रा का माहौल और भी पवित्र हो जाता है।