कानपुर में गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों में दहशत का माहौल है। नदी के बढ़ते पानी ने गंगा किनारे बसे लगभग 2 हजार घरों को खतरे में डाल दिया है। इन इलाकों में रहने वाले करीब 8 से 10 हजार लोग बाढ़ के डर से सहमे हुए हैं और हर दिन एक नई आशंका के साथ जी रहे हैं।
खास तौर पर गंगा किनारे बसे 8 गांवों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। इन गांवों में लोगों की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि हर दिन पानी उनके घरों की ओर बढ़ता जा रहा है। खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं। लोग अपने घरों से जरूरी सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
गांवों में रहने वाले लोगों का कहना है कि प्रशासन से अब तक कोई पक्की मदद नहीं मिली है। राहत शिविर या नावों की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है। कुछ जगहों पर लोग ट्रैक्टर या नाव के सहारे गांव छोड़ रहे हैं। बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों की हालत बेहद नाजुक है।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, यह स्थिति हर साल आती है, लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं निकाला गया। बाढ़ की आशंका ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। स्कूल बंद हो गए हैं, बिजली-पानी की आपूर्ति बाधित है और रोजगार के साधन भी ठप हो चुके हैं। इस समय इन गांवों को सबसे ज्यादा जरूरत प्रशासनिक मदद, राहत सामग्री और सुरक्षित ठिकानों की है। वरना हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।