आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी माना गया है। विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है। इस दिन व्रती भक्त पूर्ण श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत रखते हैं तथा पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन के पापों का नाश होता है, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस दिन का आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है। व्रत करने से न केवल सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का संचार करता है।
हालांकि योगिनी एकादशी पर कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इस दिन व्रती को संयम और सात्विकता के साथ आचरण करना चाहिए। झूठ बोलना, क्रोध करना, निंदात्मक बातें करना, मांस-मदिरा का सेवन और तामसिक भोजन आदि वर्जित होते हैं। यदि कोई व्यक्ति इन नियमों की अनदेखी करता है तो व्रत का पूर्ण फल नहीं मिल पाता और पुण्य का प्रभाव भी क्षीण हो सकता है।
इसलिए योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धा, भक्ति और संयम से करना चाहिए ताकि इसका संपूर्ण फल प्राप्त हो और जीवन में सुख, शांति तथा आध्यात्मिक प्रगति संभव हो सके।