पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक गंभीर और प्रगतिशील बीमारी है, जिसमें फेफड़ों के भीतर धीरे-धीरे घाव बन जाते हैं और ऊतकों में निशान पड़ने लगते हैं। यह निशान फेफड़ों को कठोर बना देते हैं, जिससे उनकी लचीलापन कम हो जाती है और वे पूरी तरह से फैलने या सिकुड़ने में सक्षम नहीं रहते। इसका सबसे बड़ा असर सांस लेने पर पड़ता है।
जब किसी व्यक्ति को पल्मोनरी फाइब्रोसिस होता है, तो शुरुआत में हल्की सांस की तकलीफ महसूस होती है। लेकिन समय के साथ यह समस्या बढ़ जाती है और थोड़ी सी मेहनत, जैसे सीढ़ियां चढ़ना या तेज चलना, में भी दम फूलने लगता है। इस स्थिति में फेफड़े शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते, जिससे पूरे शरीर की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
ऑक्सीजन की कमी के कारण थकान, कमजोरी, वजन घटना और कभी-कभी नींद में भी सांस लेने में परेशानी होने लगती है। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और अगर समय रहते इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन समय पर निदान और इलाज से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। दवाइयों, ऑक्सीजन थेरेपी और फेफड़ों के प्रत्यारोपण जैसी चिकित्सा पद्धतियों से रोगी की स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है। पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और सांस संबंधी किसी भी समस्या पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।