झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्थित कराईकेला से लगभग 8 किलोमीटर दूर ओटार पंचायत का जोमरो गांव ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह गांव 1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश हुकूमत की नजर में एक बड़ी चुनौती बन गया था। यह वही भूमि है जहां पोड़ाहाट के महाराज और वीर स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन सिंह ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का बिगुल फूंका था।
अर्जुन सिंह ने अपने नायक, खंडाईत, कोल और कुड़मी वीरों के साथ मिलकर एक जनआंदोलन खड़ा किया। दिसंबर 1857 से जनवरी 1858 के बीच जोमरो गांव में एक बड़ी सभा आयोजित की गई, जिसमें आसपास के गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस सभा में लोगों ने ब्रिटिश शासन का विरोध करने और अपने राजा का साथ देने का संकल्प लिया।
राजा अर्जुन सिंह ने अंग्रेजों की दासता स्वीकार करने के बजाय जंगलों में रहकर युद्ध की रणनीति बनानी शुरू कर दी। वे अपने किले और राजमहल को छोड़कर जनता के साथ जंगलों में छिप गए और वहीं से गुरिल्ला युद्ध की तैयारी करने लगे। इस आंदोलन ने अंग्रेजों के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी थी।
जोमरो गांव न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह झारखंड की वीरता, जनजागरण और आजादी की लड़ाई की प्रेरक भूमि भी है। आज भी यहां के लोग उस संघर्ष को गर्व से याद करते हैं।