जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल में उन्होंने दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक जीवन विविध और लंबा रहा। वे कई प्रमुख राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर के अलावा गोवा, बिहार और मेघालय शामिल हैं। उन्हें खासतौर पर तब सुर्खियों में लाया गया जब वे 2018 से 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे और अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले का महत्वपूर्ण कार्यकाल संभाला।
उनकी पहचान एक स्पष्टवादी और बेबाक नेता के रूप में रही। वे अक्सर केंद्र सरकार की नीतियों की भी खुलकर आलोचना करते रहे, खासकर किसानों के मुद्दों पर। उनके विचारों और बयानों ने कई बार राष्ट्रीय स्तर पर बहस को जन्म दिया।
सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी और बाद में कई राजनीतिक दलों से जुड़े रहे। वे राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य भी रह चुके थे। उनका राजनीतिक और सामाजिक अनुभव बहुत व्यापक था।
उनके निधन पर कई वरिष्ठ नेताओं और प्रमुख हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें एक सच्चा जनप्रतिनिधि और संवेदनशील नेता बताया जा रहा है। सत्यपाल मलिक की अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार की जानकारी जल्द ही उनके परिवार द्वारा दी जाएगी।