20 अगस्त 2025 को संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए तीन प्रमुख विधेयक पेश किए। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय दंड संहिता (संशोधन) विधेयक और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। इनका उद्देश्य ब्रिटिश काल से चली आ रही आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक सुधार लाना है।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि ये विधेयक भारतीय नागरिकों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, समयबद्ध और प्रभावी बनाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विधेयकों में तकनीक के उपयोग, डिजिटल साक्ष्यों की मान्यता और पीड़ितों के अधिकारों को मजबूत करने जैसे कई प्रावधान शामिल हैं।
हालांकि, इन विधेयकों के पेश होने के दौरान विपक्ष ने जोरदार विरोध किया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना विस्तृत चर्चा और संसदीय प्रक्रिया का पालन किए ये विधेयक पेश किए हैं। विरोध के दौरान कुछ सांसदों ने विधेयकों की प्रतियां फाड़ दीं और नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। इस हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष का कहना है कि इतने महत्वपूर्ण विधेयकों को संसदीय समिति को भेजे बिना पास करना लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि इन पर विस्तृत चर्चा हो और सभी पक्षों की राय ली जाए। दूसरी ओर, सरकार इन विधेयकों को ऐतिहासिक बताते हुए जल्द से जल्द पारित करवाने के पक्ष में है।