आगरा शहर में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के उद्देश्य से 38 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी गई थीं। इन बसों को खरीदने पर लगभग 38 करोड़ रुपये की लागत आई। लेकिन अफसोस की बात यह है कि ये सभी बसें पिछले पांच महीनों से फोर्ड डिपो में खड़ी हैं और एक भी बस शहर की सड़कों पर नहीं उतर पाई है।
इसका मुख्य कारण यह है कि इन बसों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अब तक तैयार नहीं हो सका है। बिना चार्जिंग प्वाइंट के ये इलेक्ट्रिक बसें संचालित नहीं हो सकतीं, और प्रशासन की लापरवाही के चलते यह योजना फिलहाल अधर में लटकी हुई है। इन बसों को शुरुआत में शहर के अलग-अलग रूटों पर चलाने की योजना थी, जिससे डीजल वाहनों पर निर्भरता कम होती और प्रदूषण में भी गिरावट आती। लेकिन चार्जिंग स्टेशन के अभाव में न तो यह योजना अमल में आ सकी, और न ही लोगों को इसका कोई लाभ मिल पाया।
स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस पर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर बसें तो खरीद लीं, लेकिन बुनियादी तैयारी पूरी किए बिना यह फैसला अधूरा और बेकार साबित हुआ। यदि जल्द ही चार्जिंग स्टेशन नहीं बनाए गए, तो बसों का रख-रखाव और बैटरी की स्थिति भी बिगड़ सकती है, जिससे और नुकसान होगा। प्रशासन को अब जल्द ही प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।