गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की दिव्य परंपराओं का प्रतिनिधित्व करने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व न केवल गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि ऋषि परंपरा, वेद परंपरा और सनातन मूल्यों को भी पुष्ट करता है। यह पर्व युग धर्म को स्थापित करने की प्रेरणा देता है, जो हर युग में धर्म, ज्ञान और नैतिकता की नींव को मजबूत करता है।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पतंजलि वेलनेस योगपीठ 2 स्थित योगभवन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने इन परंपराओं का महत्व रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वेद, ऋषि और गुरु धर्म केवल आध्यात्मिक मार्ग ही नहीं दिखाते, बल्कि उनमें राष्ट्र धर्म भी अंतर्निहित है। गुरु का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र को सही दिशा में प्रेरित करना भी होता है। इस दृष्टि से गुरु पूर्णिमा केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का पर्व भी है।
कार्यक्रम में स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने एक-दूसरे को माला पहनाकर गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं। यह gesture गुरु-शिष्य के गहरे संबंध और पारस्परिक सम्मान का प्रतीक था। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से आह्वान किया कि वे सनातन धर्म की परंपराओं को आत्मसात करें और अपने जीवन में गुरु के स्थान को सर्वोपरि मानें।
इस प्रकार, गुरु पूर्णिमा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा को उजागर करने वाला पर्व है, जो जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और दिशा प्रदान करता है।