जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन भक्ति, भोग और आनंद का संगम माना जाता है। श्रीकृष्ण के जन्म की कथा, उनके बाल रूप की लीलाएं, और उनका मधुर स्वरूप भक्तों को भाव-विभोर कर देता है।
इस पावन अवसर पर मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है। श्रीकृष्ण की झांकियां बनाई जाती हैं, जो उनके जीवन की विभिन्न लीलाओं को दर्शाती हैं। कई स्थानों पर भजन-संकीर्तन और रासलीला का आयोजन होता है, जिसमें भक्तगण संगीतमय वातावरण में भक्ति भाव से ओत-प्रोत होकर भाग लेते हैं। रात्रि के समय श्रीकृष्ण के जन्म का आयोजन विशेष उत्साह के साथ होता है, जब ठीक मध्यरात्रि को भगवान का जन्म माना जाता है।
घर-घर में भी इस दिन खास तैयारियां होती हैं। लोग अपने घरों में श्रीकृष्ण की मूर्ति या झूला सजाते हैं और उन्हें झुलाते हैं। भोग के रूप में माखन, मिश्री, दही, पाग, पंजीरी, और अन्य सात्विक व्यंजन बनाए जाते हैं। विशेष रूप से बच्चों को कान्हा का स्वरूप देकर झांकियों में शामिल किया जाता है।
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। यह दिन भक्तों को प्रेम, करूणा और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।