पहले 40 वर्ष से ऊपर के लोगों को दिल के दौरे का ख़तरा होता था परंतु अब छोटे-छोटे बच्चे भी इसकी ज़द में हैं। ऐसा क्या है जो हम नहीं समझ पा रहे हैं? इस चिंताजनक स्थिति पर ध्यान देना ज़रूरी है।
बीते कुछ महीनों में छोटे बच्चों में हृदयाघात के कई मामले सुनने में आए हैं। एक बच्ची को चलते-चलते दिल का दौरा पड़ गया और वहीं उसकी जान चली गई। उसमें ना तो कोई लक्षण नज़र आए और ना ही वजह पता चली। बच्चों में हार्ट अटैक के मामले बहुत दुर्लभ होते हैं, लेकिन सडन कार्डियक अरेस्ट या अचानक दिल बंद हो जाना एक चिंताजनक समस्या बनती जा रही है। बच्चों में दिल से जुड़ी समस्याओं के कारण वयस्कों की तुलना में कुछ अलग होते हैं।
बच्चों के आहार में ताज़े फल, हरी सब्ज़ियां, फाइबर युक्त भोजन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। बच्चे को जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, अत्यधिक नमक व मीठे खाद्य पदार्थ ना दें। बाज़ार के चीज़, पनीर, मेयोनीज़ से भी पूरी तरह परहेज़ करें।
बच्चों को खेल-कूद, दौड़ने और व्यायाम के लिए प्रेरित करें। रोज़ाना कम से कम एक घंटे की शारीरिक गतिविधि दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
अगर परिवार में किसी को दिल से जुड़ी बीमारी रही है, तो बच्चों का समय-समय पर कार्डियोलॉजिस्ट से चेकअप करवाना ज़रूरी है।