भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी की सजा दी जानी थी। लेकिन ऐन वक्त पर, 15 जुलाई को उसकी सजा को अस्थाई रूप से टाल दिया गया था। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है, जिससे सजा की स्थिति को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है।
मामले में नई जानकारी तब सामने आई जब भारत के प्रसिद्ध इस्लामिक धर्मगुरु ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय की ओर से दावा किया गया कि यमन में निमिषा की मौत की सजा अब पूरी तरह से रद्द कर दी गई है। यह दावा कई मीडिया रिपोर्टों और सामाजिक संगठनों द्वारा भी उठाया गया है, जिससे उम्मीद की किरण जागी है कि निमिषा की जान बच सकती है।
हालांकि, अभी तक यमन सरकार या वहां की अदालत की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इसके चलते निमिषा की सजा को लेकर संशय बना हुआ है। भारत सरकार और विभिन्न सामाजिक संस्थाएं इस मामले पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और लगातार यमन सरकार के साथ संपर्क में हैं।
निमिषा प्रिया को यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। उसने दावा किया था कि यह घटना आत्मरक्षा में हुई। अब इस कानूनी लड़ाई में नया मोड़ आने से परिजनों और मानवाधिकार संगठनों को उम्मीद है कि जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय सामने आएगा।