लखनऊ में वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी की जयंती के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। दोनों ही दलों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने में एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सुबह ही रानी अवंतीबाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। भाजपा ने इस कार्यक्रम को भव्य रूप से आयोजित कर रानी अवंतीबाई के बलिदान और योगदान को याद किया।
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी रानी अवंती बाई को श्रद्धांजलि दी, लेकिन समय के लिहाज से वह भाजपा नेताओं के बाद पहुंचे। इस वजह से राजनीतिक हलकों में इसे ‘श्रद्धांजलि की सियासत’ कहा जा रहा है।
दोनों दलों की सक्रियता यह संकेत देती है कि रानी अवंतीबाई जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को लेकर दलित-पिछड़ा वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने की होड़ जारी है। भाजपा ने इसे सामाजिक समरसता और राष्ट्रनायकों के सम्मान का विषय बताया, वहीं सपा ने इसे अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे से जोड़ा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह घटना आगामी चुनावों की रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिसमें दोनों दल पिछड़े वर्गों और दलित समुदायों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। रानी अवंतीबाई की जयंती इस बार राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का मंच बन गई।