2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई भीषण प्राकृतिक आपदा को एक दशक से अधिक हो गया है, लेकिन इसके जख्म अब भी ताज़ा हैं। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे और आज भी हजार से ज्यादा लोग लापता हैं। उत्तराखंड सरकार ने एक बार फिर इलाके में कंकालों की खोज शुरू की है, जिससे अब भी लापता लोगों का कुछ पता चल सके।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 700 से अधिक शवों की पहचान नहीं हो पाई है। बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के चलते कई शव दूर-दराज के जंगलों या घाटियों में बह गए थे। इस वजह से उनके अवशेष अब भी विभिन्न क्षेत्रों में हो सकते हैं। नए सर्च ऑपरेशन का उद्देश्य उन बचे हुए कंकालों और हड्डियों की तलाश करना है जो अभी तक नहीं मिल पाए हैं।
सरकार ने इसके लिए विशेष टीमें गठित की हैं, जो खोजी कुत्तों और तकनीकी उपकरणों की मदद से काम कर रही हैं। इसके साथ ही डीएनए मिलान की प्रक्रिया भी जारी है, ताकि मिलने वाले अवशेषों की पहचान हो सके और परिवारों को closure मिल सके।
यह अभियान न सिर्फ एक मानवीय प्रयास है, बल्कि उन परिवारों के लिए भी राहत की उम्मीद है जो अब तक अपनों की प्रतीक्षा में हैं। केदारनाथ हादसा भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक त्रासदियों में से एक रहा है और इस तरह की कार्रवाई से न्याय और संवेदना दोनों को बल मिलता है।