नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सेना को लेकर की गई सार्वजनिक टिप्पणी पर फटकार लगाई। न्यायालय ने उनसे पूछा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को सोशल मीडिया पर उठाने की बजाय संसद में क्यों नहीं उठाया जाता।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी से यह स्पष्ट रूप से पूछा कि वह ऐसे गंभीर विषयों पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का सहारा क्यों लेते हैं, जब उनके पास संसद जैसे मंच पर बोलने का अवसर होता है। कोर्ट ने कहा कि संसद देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला सर्वोच्च लोकतांत्रिक मंच है और इस प्रकार के मुद्दों को वहीं उठाना ज्यादा उचित और प्रभावशाली होता।
न्यायालय की यह टिप्पणी उस संदर्भ में आई जब राहुल गांधी ने हाल ही में सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक मुद्दे पर सोशल मीडिया के माध्यम से बयान दिया था। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सेना के साथ अन्याय हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना जैसे विषयों पर बोलते समय सार्वजनिक प्रतिनिधियों को बेहद संयम और ज़िम्मेदारी दिखानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि सोशल मीडिया पर ऐसे बयानों से अफवाहें फैल सकती हैं और इससे सेना का मनोबल भी प्रभावित हो सकता है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अब नजर इस बात पर है कि राहुल गांधी इस विषय को लेकर आगे क्या रुख अपनाते हैं — क्या वे इसे संसद में उठाएंगे या अपने बयानों को सीमित करेंगे।