साल 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दावा किया था कि चुनाव में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है और भाजपा ने वोट चोरी की है। इन आरोपों के समर्थन में पार्टी ने करीब 18,000 शपथपत्र (हलफनामे) चुनाव आयोग को सौंपे थे। पार्टी ने मांग की थी कि इन दस्तावेजों की निष्पक्ष जांच की जाए।
अब तीन साल बाद इन शपथपत्रों की जांच की प्रक्रिया शुरू हुई है। जांच के पहले चरण में जिन 15 हलफनामों की जांच की गई है, उनमें से किसी में भी गड़बड़ी या वोटिंग में अनियमितता की पुष्टि नहीं हुई है। तीन जिलों — मेरठ, मुरादाबाद और अयोध्या — के जिलाधिकारियों (DM) ने इन मामलों की जांच कर सपा के दावों को खारिज कर दिया है। उन्होंने रिपोर्ट में कहा है कि जिन मामलों की जांच की गई, उनमें कोई भी वोटिंग संबंधी गड़बड़ी नहीं मिली है।
प्रशासन की इस रिपोर्ट से सपा के आरोपों की साख पर सवाल उठे हैं। हालांकि, पार्टी का कहना है कि हजारों शपथपत्रों की जांच अभी बाकी है और वे अपने दावों पर कायम हैं। सपा नेताओं का कहना है कि वे पूरी जांच होने तक संघर्ष जारी रखेंगे।
चुनाव आयोग ने भी स्पष्ट किया है कि वह सभी शपथपत्रों की निष्पक्ष जांच कराने को तैयार है, लेकिन अब तक की रिपोर्ट प्रशासन के पक्ष में जाती दिख रही है।