गुजरात हाईकोर्ट ने 27 जून, शुक्रवार को आसाराम बापू की अस्थायी जमानत की अवधि बढ़ाते हुए उन्हें 7 जुलाई तक राहत दे दी है। इससे पहले उन्हें दी गई अस्थायी जमानत की अवधि 30 जून को समाप्त हो रही थी।
आसाराम बापू को गांधीनगर की सेशंस कोर्ट ने वर्ष 2013 के एक बहुचर्चित बलात्कार मामले में दोषी ठहराया था। कोर्ट ने उन्हें इस गंभीर अपराध के लिए दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मामले में दोष सिद्ध होने के बाद से वे जेल में सजा काट रहे हैं, हालांकि हाल के दिनों में उन्होंने स्वास्थ्य और पारिवारिक कारणों का हवाला देकर अस्थायी जमानत की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करते हुए फिलहाल उन्हें थोड़ी राहत दी है, और उनकी जमानत की अवधि को 7 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। कोर्ट ने यह फैसला तथ्यों और परिस्थितियों की समीक्षा के बाद लिया है।
आसाराम बापू का मामला देशभर में सुर्खियों में रहा है, और इससे जुड़े हर निर्णय पर लोगों की नजर रहती है। उनके खिलाफ 2013 में एक युवती ने यौन शोषण का आरोप लगाया था, जिसके बाद जांच और न्यायिक प्रक्रिया चली। आखिरकार कोर्ट ने उन्हें दोषी माना और सख्त सजा दी। अब हाईकोर्ट द्वारा दी गई यह अस्थायी राहत अस्थायी है, और आगे की सुनवाई में जमानत की समीक्षा की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला किसी स्थायी राहत की पुष्टि नहीं करता, और कानूनी प्रक्रिया अपने तय ढांचे में आगे बढ़ेगी।