झारखंड को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPSUs) के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड का समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। भारत सरकार की 63 कंपनियों ने बीते एक साल में पूरे देश में CSR मद से कुल 2721.69 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन झारखंड में इसका बहुत ही छोटा हिस्सा आया।
जहां एक ओर झारखंड के पड़ोसी राज्य ओडिशा को 447.61 करोड़ रुपये और छत्तीसगढ़ को 232.46 करोड़ रुपये मिले, वहीं झारखंड को मात्र 54.38 करोड़ रुपये की राशि ही मिली। यह आंकड़ा दर्शाता है कि केंद्र सरकार की कंपनियों द्वारा CSR फंड के वितरण में झारखंड के साथ भेदभाव हो रहा है, जबकि यह राज्य खनिज संसाधनों और उद्योगों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है।
झारखंड में कई केंद्रीय कंपनियां कार्यरत हैं और यहां से उन्हें बड़ा मुनाफा भी होता है। इसके बावजूद राज्य को अपेक्षाकृत बहुत कम CSR सहायता मिलना चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों को अपने CSR फंड का बड़ा हिस्सा उस क्षेत्र में खर्च करना चाहिए, जहां से उन्हें संसाधन मिलते हैं।
झारखंड को विकास की कई योजनाओं के लिए CSR फंड की आवश्यकता है — जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और ग्रामीण विकास। ऐसे में, इस असमान वितरण को लेकर राज्य सरकार को केंद्र से जवाबदेही की मांग करनी चाहिए ताकि झारखंड को उसका उचित हक मिल सके और यहां की जनता को वास्तविक लाभ मिल सके।