पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं… लेकिन अंगूठे सहित हर उंगली ज़रूरी और महत्वपूर्ण होती है। इसी तरह, हर व्यक्ति अपने में अनूठा और अहम होता है, फिर चाहे उसका रंग-रूप, क़द-काठी कैसी भी हो !
आप दखते होंगे की आजकल छरहरा, गोरा और लंबे क़द का होना ही एक आदर्श व्यक्तित्व की पहचान बना दी गई है। अगर इनमें से कोई लक्षण किसी में नहीं है, तो उसे नकारात्मक रूप से देखा जाता है और टिप्पणियां की जाती हैं। यह ‘बॉडी शेमिंग’ व्यक्ति को तोड़ सकती है। भले ही ऐसा मज़ाक़ की आड़ में कहा जाए, लेकिन उन शब्दों से सामने वाले के अंदर कुछ दरक-सा जाता है। उपहास उड़ाते वे शब्द उसके मनोबल को इतना प्रभावित करते हैं कि कई मामलों में पूरा व्यवहार तक बदल जाता है।
यहां सोचने वाली बात है कि अगर किसी का रंग गहरा है, क़द कम या ज़्यादा है या शारीरिक बनावट अलग है, तो इसमें बुरा क्या है? वह सिर्फ़ देखने में थोड़ा अलग है और यही अलहदापन उसकी ख़ासियत है। सुंदरता का कोई एक पैमाना नहीं होता, हर इंसान में उसकी अपनी अनूठी ख़ूबसूरती छिपी होती है- यही बात हम सबको समझने की ज़रूरत है।