भीलवाड़ा शहर सहित पूरे जिले में बच्छ बारस का पर्व पूरे श्रद्धा और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।
इस दिन महिलाओं ने परंपरागत विधि से गाय और उसके बछड़े का पूजन किया। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक इस पर्व की विशेष छटा देखने को मिली। महिलाएं सुबह से ही पूजा की तैयारी में जुट गईं। गाय और बछड़े को स्नान कराकर उन्हें रंग-बिरंगे वस्त्र और फूलों से सजाया गया। फिर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की गई।
पूजन के दौरान महिलाएं व्रत रखती हैं और विशेष पूजा सामग्री जैसे दूब, अक्षत, रोली, मौली आदि का उपयोग करती हैं। घरों में विशेष पकवान भी बनाए गए, लेकिन व्रत के कारण इस दिन महिलाएं दूध, दही और बछड़े से संबंधित खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करतीं।
बच्छ बारस को गौ-सेवा और मातृत्व की भावना से भी जोड़ा जाता है, क्योंकि गाय भारतीय संस्कृति में माता के समान मानी जाती है। इस पर्व के माध्यम से लोग अपने बच्चों के स्वास्थ्य, दीर्घायु और जीवन में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। समाज में पारिवारिक मूल्यों, पशु-प्रेम और परंपराओं के संरक्षण का संदेश देने वाला यह पर्व हर वर्ष श्रावण माह में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाता है, जिससे लोगों में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का भाव जागृत होता है।